बंगला नववर्ष की शुरुआत आज से, जानें पोइला बोइशाख का महत्व और परंपराएं

बंगला नववर्ष की शुरुआत आज से, जानें पोइला बोइशाख का महत्व और परंपराएं
बंगालियों का बहुप्रतीक्षित त्यौहार पोहेला बैसाख (Pohela Boishakh), जिसे शुभो नोबोबोरशो (Shubho Noboborsho) या पोइला बैसाख भी कहा जाता है, पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में व्यापक रूप से मनाया जाता है. कई लोग इस बात को लेकर भ्रमित हैं कि बंगाल का नया साल 14 अप्रैल से शुरू होगा या 15 अप्रैल से. इस वर्ष, द्रिक पंचांग के अनुसार, भारतीय बंगालियों के लिए नया साल 15 अप्रैल, मंगलवार से शुरू हो रहा है. संक्रमण को चिह्नित करने वाला संक्रांति क्षण 14 अप्रैल सोमवार को सुबह

 बंगला नववर्ष की शुरुआत आज से, जानें पोइला बोइशाख का महत्व और परंपराएं

पोइला बोइशाख हर वर्ष 14 या 15 अप्रैल को मनाया जाता है. इस वर्ष, पोइला बोइशाख 15 अप्रैल 2025 को आएगा. लोग एक-दूसरे को 'शुभो नोबो बोरसो' (नया साल मुबारक) कहकर नए साल की बधाई देते हैं. इसी दिन, वर्ष 1431 में बंगाली कैलेंडर की शुरुआत हुई थी.

भारत की विशेषता अनेकता में एकता है. इस देश में विभिन्न जातियों और समुदायों के लोग अपने-अपने अलग नववर्ष का उत्सव मनाते हैं. नववर्ष के भिन्न होने के कारण कैलेंडर भी अलग-अलग होते हैं. एक ही देश के भीतर कई क्षेत्रीय कैलेंडर प्रचलित हैं. भारत में ‘हिंदू चंद्र-आधारित’, ‘हिंदू सूर्य-आधारित’, ‘इस्लामिक चंद्र कैलेंडर’ और ‘बंगाली कैलेंडर’ का उपयोग किया जाता है. बंगाली कैलेंडर के अनुसार, बंगाली नववर्ष किसी वर्ष 14 तो किसी वर्ष 15 अप्रैल को आरंभ होता है, और इसके पहले दिन को ‘पोइला बैशाख’ के नाम से जाना जाता है. इस वर्ष पोइला बैशाख 15 अप्रैल को मनाया जाएगा, अर्थात आज मंगलवार से बंगाली नववर्ष की शुरुआत होगी.
पोइला बोइशाख का इतिहास

 पोइला बैसाख के बारे में कई मान्यताएँ प्रचलित हैं. कहा जाता है कि मुगल काल में इस्लामी हिजरी कैलेंडर के अनुसार करों का संग्रह किया जाता था. लेकिन हिजरी कैलेंडर और चंद्र कैलेंडर के बीच असंगति थी (कृषि चक्रों के भिन्न होने के कारण). इसलिए, बंगालियों ने इस त्योहार की शुरुआत की और बंगाली कैलेंडर को बंगबाड़ा के नाम से जाना जाने लगा.
यह दिन मांगलिक कार्यों के लिए शुभ है.

जैसे हिंदू धर्म में कुछ विशेष दिन मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं, उसी प्रकार बंगाली समुदाय पोइला बोईशाख के दिन गृह प्रवेश, मुंडन, विवाह आदि मांगलिक कार्यों को करना शुभ मानता है. इसके अलावा, किसी नए कार्य की शुरुआत या नया व्यवसाय शुरू करने के लिए भी यह दिन विशेष महत्व रखता है.

 पोइला बैशाख या बंगला नववर्ष को पश्चिम बंगाल, बंगलादेश, त्रिपुरा और अन्य उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों में बंगाली समुदाय द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. भारत में यह दिन भगवान गणेश, जो शुभारंभ के देवता हैं, और देवी लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी हैं, को समर्पित होता है. लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, और मान्यता है कि ऐसा करने से समृद्धि की प्राप्ति होती है.

बंगाली कैलेंडर की उत्पत्ति 7वीं शताब्दी के गौड़ शासक राजा शशांक के शासनकाल से हुई है. बाद में मुगल सम्राट अकबर के शासन के दौरान इसमें बदलाव किया गया, जिन्होंने ज़मीन मालिकों के लिए कर संग्रह को आसान बनाने के लिए इस्लामी और बंगाली कैलेंडर को मिलाने की कोशिश की. नए साल की तारीख को कृषि चक्र के साथ मेल खाने के लिए प्रस्तावित किया गया था.

 क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार, यह दिन नए कैलेंडर वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और दुनिया भर के बंगालियों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है. शुभ दिन की शुरुआत सुबह मंदिरों में भक्तों के आने और प्रार्थना करने से होती है, जबकि व्यवसायी इसे नए उद्यम शुरू करने और अपने नए खाते खोलने के साथ और भी खास बनाते हैं, जिसे हाल खाता कहा जाता है. यह किसानों के लिए नई फसल के मौसम की शुरुआत है.

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