16 अप्रैल को देश में "भारतीय रेल परिवहन दिवस" के रूप में मनाया जाता है।
भारतीय रेल का स्थापना दिवस 16 अप्रैल को मनाया जाता है।
यह दिन 1853 में बोरी बंदर (अब मुंबई) से ठाणे के बीच चली पहली यात्री ट्रेन की शुरुआत को याद करता है। 16 अप्रैल को देश में "भारतीय रेल परिवहन दिवस" के रूप में मनाया जाता है। 








भारत में अंग्रेजों द्वारा यात्रियों के लिए रेलवे की शुरुआत 1853 में की गई थी। भारतीय रेल का इतिहास 160 वर्ष पुराना है। 16 अप्रैल 1853 को पहली यात्री ट्रेन बोरी बंदर (बॉम्बे) और ठाणे के बीच 34 किमी की दूरी तक चली।
16 अप्रैल, 1853 को भारत में पहली यात्री ट्रेन बोरी बंदर (बॉम्बे) से ठाणे के बीच 34 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए चली थी.
यह ट्रेन 14 डिब्बों वाली थी और इसे तीन भाप इंजनों द्वारा खींचा गया था: साहिब, सिंध और सुल्तान.
भारतीय रेल का इतिहास बहुत पुराना है। देश में पहली ट्रेन 18वीं सदी में चालाई गई थी। अंग्रेजों के शासन काल से ही भारत में रेलवे का विकास होना शुरू हो गया था। देश में पहली ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को मुंबई (बॉम्बे) के बोरीबंदर से ठाणे के बीच चालाई गई थी। इस दिन को देश में भारतीय रेल परिवहन दिवस (Indian Rail Transport day) के रूप में मनाया जाता है। मालूम हो कि बॉम्बे को ठाणे, कल्याण, थाल और भोर घाटों के साथ जोड़ने के लिए भारत में रेलवे का विचार पहली बार साल 1843 में भांडुप (Bhandup) की यात्रा के दौरान बॉम्बे सरकार के चीफ इंजीनियर जॉर्ज क्लार्क (George Clark) को आया था।
21 तोपों की सलामी के साथ ही शुरू हुआ था ट्रेन का सफर
अंग्रेजों में भारत में रेल का नेटवर्क अपने व्यापार के लिए बिछाया था। कई लोगों को लगता है कि यह ट्रेन एक माल गाड़ी थी और भारत में रेल परिवहन के लिहाज से पहली गाड़ी थी। लेकिन हकीकत यह है कि यह एक पहली यात्री ट्रेन थी और इसमें 400 लोगों में सफर किया था। इस दौरान 34 किलोमीटर का यह सफर इस ट्रेन ने एक घंटा 15 मिनट में पूरा किया था। ट्रेन ने अपना सफर स्टेशन पर मौजूद भारी संख्या में लोगों की भीड़ की तालियों की गड़गड़ाहट और 21 तोपों की सलामी के साथ ही शुरू हुआ था।
400 लोगों ने किया था डेक्कन क्वीन की सवारी
भारत में चलाई गई पहली डेक्कन क्वीन नाम की इस ट्रेन में कुल 14 डिब्बे थे। यह ट्रेन दोपहर 3.30 बजे बोरीबंदर से प्रारंभ हुई थी, जिसे आज छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन के नाम से जाना जाता है और अपने गंत्वय पर शाम 4.45 बजे पहुंची थी। इस ट्रेन को चलाने के लिए तीन इंजनों का उपयोग किया गया था, जिसको अंग्रेजो ने ब्रिटेन से मंगवाया था। इन इंजनों के नाम साहिब, सुल्तान और सिंध थे। इस ट्रेन में चार सौ लोगों ने सफर किया था। भारत में रेलवे की शुरुआत उस दौरान एक बड़ी उपलब्धि थी।
8 फरवरी को जमालपुर लोको वर्क्स की स्थापना की गई। इसी वर्ष मद्रास रेलवे लाइन को रेणिगुंटा तक या गया था।
1855 - बीबी और सीआई रेलवे (BB&CI Railway) को शामिल किया गया, जिसने सूरत-बड़ौदा लाइन पर अपना काम शुरू किया। ठाणे-कल्याण लाइन को उत्तर-पूर्व में वासिंद तक भी बढ़ाया गया था। इसके साथ ही इसी अवधि के दौरान अगस्त में ईआईआर एक्सप्रेस और फेयरी क्वीन स्टीम लोकोमोटिव लॉन्च किए गए थे।
1856- मद्रास रेलवे कंपनी द्वारा रोयापुरम-वल्लाजाह रेल लाइन का निर्माण किया गया था। दक्षिण में पहली ट्रेन सेवा एक जुलाई को मद्रास रेलवे कंपनी द्वारा रोयापुरम/वेयासरापदी (मद्रास) से वालाजाह रोड (आरकोट) तक शुरू की गई थी। साथ ही, सिंध बाद में सिंध, पंजाब और दिल्ली रेलवे का गठन किया गया जो एक गारंटीकृत रेलवे था। इसी साल में मद्रास रेलवे की पहली कार्यशाला भी मद्रास के पास पेरंबूर में खोली गई थी।
1859- उत्तर में पहली ट्रेन 3 मार्च को इलाहाबाद से कानपुर के बीच चलाई गई थी। साथ ही पूर्वी बंगाल रेलवे ने कलकत्ता-कुश्तिया लाइन पर भी निर्माण शुरू किया। कलकत्ता और दक्षिण-पूर्वी रेलवे का गठन सरकार से 5% गारंटी के साथ किया गया था।
1855-1870- विभिन्न रेलवे लाइन कंपनियों को शामिल किया गया।
1860- GIPR ने भुसावल स्टेशन को स्थापित किया। इसी दौरान वासिंद-आसनगांव लाइन खोली गई।
1862-8 फरवरी को जमालपुर लोको वर्क्स की स्थापना की गई। इसी वर्ष मद्रास रेलवे लाइन को रेणिगुंटा तक बढ़ाया गया था।
1863-14 मई को बॉम्बे से भोरे घाट से पुणे तक GIPR लाइन का निर्माण किया गया था।
1863-14 मई को बॉम्बे से भोरे घाट से पुणे तक GIPR लाइन का निर्माण किया गया था।
1864-1 अगस्त को दिल्ली और कलकत्ता के बीच पहली ट्रेन को चलाया गया था।
भारतीय रेलवे (औद्योगिक रेलवे) का इतिहास: 1832-1852
1832- भारत में रेलवे का प्रस्ताव सर्वप्रथम मद्रास में किया गया था।
1835-36- मद्रास के पास चिंताद्रिपेट में एक छोटी रेलवे लाइन का निर्माण किया गया था। यह बाद में रेड हिल रेलमार्ग बन गया।
1873- रेड हिल रेलवे नाम की देश की पहली ट्रेन रेड हिल्स से मद्रास में चिंताद्रीपेट पुल तक चली। इसे रोटरी स्टीम लोकोमोटिव इंजन द्वारा खींचा गया था। इंजन विलियम एवरी द्वारा निर्मित और इंजीनियर आर्थर कॉटन द्वारा बनाया गया था। रेलवे का उपयोग मुख्य रूप से ग्रेनाइट पत्थर के परिवहन के लिए किया जाता था।
1840 का दशक- मुख्य रूप से कलकत्ता (EIR) और बॉम्बे (GIPR) के आसपास भारत में रेलवे के लिए कई प्रस्ताव।
1845- राजमुंदरी के पास एक रेलवे चल रही थी। गोदावरी बांध निर्माण रेलवे राजमुंदरी के दौलेश्वरम में बनाया गया था। इसे भी आर्थर कॉटन ने बनाया था।
• 8 मई 1845- मद्रास रेलवे को शामिल किया गया था, उसके बाद उस वर्ष ईस्ट इंडिया रेलवे का गठन किया गया था।
1 अगस्त 1849- ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे (GIPR) को संसद के एक अधिनियम द्वारा शामिल लि प्रया था।
मई 1845- मद्रास रेलवे को शामिल किया गया था, उसके बाद उस वर्ष ईस्ट इंडिया रेलवे का गठन किया या था।
अगस्त 1849- ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे (GIPR) को संसद के एक अधिनियम द्वारा शामिल किया गया
• 1851- रुड़की में 22 दिसंबर से शुरू हुए निर्माण कार्य के लिए लोकोमोटिव थॉमसन का इस्तेमाल किया गया था।
• 1852- मद्रास गारंटीड रेलवे कंपनी का गठन किया गया।
रेलवे से संबंधित कुछ अन्य तथ्य
पहली रेलवे वर्कशॉप 1862 में बिहार के मुंगेर के पास जमालपुर में स्थापित की गई थी। यह धीरे-धीरे भारत की प्रमुख औद्योगिक इकाई में से एक बन गई, जिसमें लोहा और इस्पात फाउंड्री, रोलिंग मिल और बहुत कुछ था।
1864 में, दिल्ली जंक्शन, शहर का सबसे पुराना, यह एक प्रमुख स्टेशन और जंक्शन था और आज तक बना हुआ है। यह पहली बार 1864 में चांदनी चौक के पास स्थापित किया गया था जब हावड़ा/कलकत्ता से ट्रेनों का संचालन दिल्ली तक शुरू हुआ था।
उत्तर में अगला महत्वपूर्ण स्टेशन लखनऊ था। यह अवध और रोहिलखंड रेलवे (O&RR) का मुख्यालय था, जिसकी लखनऊ से कानपुर तक पहली लाइन अप्रैल 1867 में बिछाई गई थी।
1880 में, दार्जिलिंग स्टीम ट्रामवे (बाद में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे) ने सिलीगुड़ी और कुर्सेओंग (Kurseong) के बीच अपना पहला खंड शुरू किया। 1881 में लाइन को दार्जिलिंग तक बढ़ा दिया गया था। यह लाइन नैरो गेज पर संचालित हुई और 1999 में इसे विश्व विरासत का दर्जा दिया गया था, जो इस तरह का दर्जा पाने वाला एशिया का पहला रेलवे था।
इस दिन को भारतीय रेल परिवहन दिवस के रूप में मनाया जाता है और यह उस ऐतिहासिक यात्रा की वर्षगांठ को चिह्नित करता है जब पहली यात्री ट्रेन चली थी.
लॉर्ड डलहौजी को भारतीय रेलवे का जनक माना जाता है.
1853 में, बोरी बंदर (अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनस) और ठाणे के बीच 35 किलोमीटर की दूरी पर पहली ट्रेन चलाई गई थी.
इस ट्रेन में 20 डिब्बे थे और इसमें लगभग 400 यात्री थे.
भारत में रेलवे का विकास लॉर्ड डलहौजी के प्रयासों से हुआ था, जिन्हें भारतीय रेलवे का जनक कहा जाता है.
भारतीय रेलवे का मुख्यालय नई दिल्ली में है.
भारतीय रेल का एक लंबा और महत्वपूर्ण इतिहास है और यह भारत में परिवहन का एक महत्वपूर्ण साधन है.
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