चैत्र नवरात्रि द्वितीय दिन मां ब्रह्मचारिणी विशेष रिपोर्ट
चैत्र नवरात्रि द्वितीय दिन मां ब्रह्मचारिणी
विशेष रिपोर्ट
देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ज्योर्तिमय है। ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति हैं। तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा इनके अन्य नाम हैं। इनकी पूजा करने से सभी काम पूरे होते हैं, रुकावटें दूर हो जाती हैं और विजय की प्राप्ति होती है।
माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।
देवी मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बेहद पसंद है और इसलिए इनकी पूजा के दौरान इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में अर्पित करें। चूंकि मां को चीनी और मिश्री काफी पसंद है इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगा
मां ब्रह्मचारिणी के बारे में कुछ और खास बातें:
मां ब्रह्मचारिणी को तेरह तपस्या और साधना की देवी माना जाता है.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से सरलता और ध्यान की भावना प्रकट होती है.
मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल है.
मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बहुत पसंद है.
मां ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री का भोग लगाया जाता है.
मां ब्रह्मचारिणी को भोग में चीनी और गुड़ से बनी चीज़ें चढ़ाई जाती हैं.
मां ब्रह्मचारिणी को वट वृक्ष के फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है.
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है.
मां ब्रह्मचारिणी के पसंदीदा रंग सफ़ेद है.
यह रूप उनकी तपस्या और साधना का प्रतीक है। यह माना जाता है कि उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिससे वे तप और संयम की प्रतीक बन गईं। उनकी उपासना से भक्तों को अपनी साधना और ध्यान में सफलता प्राप्त होती है।
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