कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥
ऋषि पंचमी कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥ दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥ कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥ दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥ सनातन धर्म के अनुसार भादों मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी (भाद्र शुक्ल पंचमी) को ऋषी पंचमी का त्यौहार मनाया जाता हैं । पूर्वकाल में यह व्रत समस्त वर्णों के पुरुषों के लिए बताया गया था, किन्तु समय के साथ साथ अब यह अधिकांशत: स्त्रियों द्वारा किया जाता है। इस दिन चारों वर्ण की स्त्रियों को चाहिए कि वे यह व्रत करें। यह व्रत जाने-अनजाने हुए पापों के प्रक्षालन के लिए स्त्री तथा पुरुषों को अवश्य करना चाहिए। इस दिन पवित्र नदीयों में स्नान का भी विशेष माहात्म्य है।इस दिन महिलाएं व्रत रख कर सप्त ऋषियों की पूजा करती हैं। ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार इस अवसर पर स्नान-शौच करके वेदी बनाकर उस पर विविध रंगों से अष्टदल कमल का चित्रण किया जाता, फिर उस पर ऋषियों की मूर्ति बनाकर विधान के साथ पूजन किया जाता है। इस दिन ऋषियों का पूज