भारत की दो बेटियों ने दिया आतंकी हमले का करारा जवाब "ऑपरेशन सिंदूर"

भारत की दो बेटियों ने दिया आतंकी हमले का करारा जवाब "ऑपरेशन सिंदूर"

गुजरात की कर्नल सोफिया कुरैशी और उत्तर प्रदेश की विंग कमांडर व्योमिका सिंग 


गुजरात की कर्नल सोफिया कुरैशी और उत्तर प्रदेश की विंग कमांडर व्योमिका सिंग 

Sophia Qureshi Education: 

कर्नल सोफिया कुरैशी, भारतीय सेना की एक जांबाज अफसर, अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व कर देश का नाम रोशन कर रही हैं। ऑपरेशन सिंदूर से लेकर एक्सरसाइज फोर्स 18 तक, जानिए कर्नल सोफिया कुरैशी को।

Sophia Qureshi: आज जब हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, तो भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम गर्व से लिया जाता है। वह ना सिर्फ सेना की वर्दी में देश की रक्षा कर रही हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारत की आवाज बन चुकी हैं। 


हाल ही में भारतीय सेना की इस जांबाज अफसर ने न सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के मिशन में भारत की आवाज बनकर मीडिया को ब्रीफ किया, बल्कि पहले भी वो 18 देशों के सैनिकों की मिलिट्री ड्रिल 'एक्सरसाइज फोर्स 18' में भारत की कमान संभाल चुकी हैं। जानिए कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में रोचक बातें।

कर्नल सोफिया कुरैशी मूल रूप से गुजरात की रहने वाली हैं। उन्होंने बायोकैमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। एक आम लड़की की तरह उन्होंने पढ़ाई की, लेकिन मन में एक खास सपना था, सेना में जाकर देश की सेवा करना। और उन्होंने यह सपना सिर्फ देखा नहीं, बल्कि उसे सच भी कर दिखाया।


सोफिया भारतीय सेना की सिग्नल कोर (Signal Corps) की अधिकारी हैं, जो सेना के संचार और तकनीकी ऑपरेशंस को संभालती है। वह उन चुनिंदा महिला अफसरों में से हैं, जिन्हें शुरुआत से ही चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियां दी गईं।

2006 में, कर्नल सोफिया कुरैशी ने यूएन पीसकीपिंग मिशन के तहत कांगो में तैनात किया गया। शांति बनाए रखने के इस वैश्विक मिशन में उन्होंने 6 साल से अधिक समय तक काम किया। उनका चयन भारत की Peacekeeping Training Group से हुआ था, जहां से सबसे बेहतरीन अधिकारियों को इंटरनेशनल मिशन के लिए चुना जाता है।


कर्नल सोफिया कुरैशी ने साल 2016 में Exercise Force 18 में भारत की तरफ से हिस्सा लिया, जहां 18 देशों की संयुक्त सैन्य ड्रिल में उन्हें भारत की टुकड़ी की कमान दी गई। यह पहला मौका था जब किसी महिला ने इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय अभ्यास में किसी देश की सैन्य टुकड़ी की अगुवाई की।

हाल ही में, जब कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया गया, तब पूरी दुनिया के मीडिया को जानकारी देने की जिम्मेदारी कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को सौंपी गई। यह एक ऐतिहासिक पल था, जब दो महिला अफसरों ने पूरे आत्मविश्वास से भारत की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखा।


कर्नल सोफिया कुरैशी का परिवार भी सेना से जुड़ा रहा है। उनके दादा भारतीय सेना में थे और उनके पति मेकनाइज्ड इन्फेंट्री में ऑफिसर हैं। इस तरह उनके जीवन में देशभक्ति सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक परंपरा है। कह सकते हैं कि उनकी खून में देशभक्ति है।


कर्नल सोफिया कुरैशी उन महिलाओं में हैं जिन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर हिम्मत हो, तो महिलाएं सेना में भी कमान संभाल सकती हैं। उनकी कहानी सिर्फ एक फौजी अफसर की नहीं, बल्कि एक ऐसी भारतीय बेटी की है जो देश के लिए जीती है, और हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है जो कुछ बड़ा करना चाहती है।

विंग कमांडर व्योमिका सिंह


विंग कमांडर व्योमिका सिंह (Wing Commander Vyomika Singh) 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायुसेना में कमीशन हुईं. वह एक बेहतरीन विंग कमांडर में से एक माना जाता है. जिनके पास लड़ाकू हेलिकॉप्टर्स उड़ाने का अनुभव है और चीता, चेतक जैसे लड़ाकू हेलिकॉप्टर उड़ाने में महारथ भी हासिल है. व्योमिका सिंह को वायुसेना में शामिल होने के 13 साल बाद विंग कमांडर का पद मिला और 18 दिसंबर 2017 में जाकर वो विंग कमांडर बनीं.


 विंग कमांडर व्योमिका सिंह के पास इस समय हजारों घंटे फ्लाइंग ऑवर्स का अनुभव है, जो उन्हें सबसे सक्षम बनाता है. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद यूएपएससी के जरिए एयरफोर्स में शामिल हुई और फिर हेलिकॉप्टर पायलट बन गईं.


विंग कमांडर व्योमिका सिंह ना सिर्फ लड़ाकू हेलिकॉप्टर को चलाने में सक्षम हैं. साल 2021 में वायुसेना की महिला विंग ने माउंट मणिरंग की चढ़ाई की थी, वो उसका भी हिस्सा रह चुकी हैं. 


उन्होंने भारत द्वारा 6 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेस में पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों की एक-एक जानकारी दुनिया के सामने रखी. व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इंग्लिश में पूरी जानकारी दी थी.  

लखनऊ की बेटी हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह, जिन्‍होंने ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई नारी शक्ति

अरविंद चौहान, लखनऊ: लखनऊ के लिए यह गर्व का क्षण था। विंग कमांडर व्योमिका सिंह नई दिल्ली में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के लिए एक उच्च-प्रोफाइल ब्रीफिंग में आत्मविश्वास से खड़ी थीं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जो भारत द्वारा पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई हवाई कार्रवाई थी। इस ब्रीफ‍िंग में उनके साथ थे विदेश सचिव विक्रम मिसरी और कर्नल सोफिया कुरैशी।


व्‍योमिका लखनऊ मूलत: लखनऊ की हैं और एक कुशल हेलीकॉप्टर पायलट हैं। उनके नाम का अर्थ है का अर्थ है 'आकाश की बेटी' और ऑपरेशन सिंदूर की इस प्रेस ब्रीफिंग में वह 'नारी शक्ति' के प्रतीक के रूप में मंच पर थीं। वह इस बात का भी प्रतीक हैं कि संकट के समय में महिलाएं वीरता के साथ देश की सेना का नेतृत्व कर रही हैं

।लखनऊ के लिए यह गर्व का क्षण था। विंग कमांडर व्योमिका सिंह नई दिल्ली में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के लिए एक उच्च-प्रोफाइल ब्रीफिंग में आत्मविश्वास से खड़ी थीं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जो भारत द्वारा पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई हवाई कार्रवाई थी। इस ब्रीफ‍िंग में उनके साथ थे विदेश सचिव विक्रम मिसरी और कर्नल सोफिया कुरैशी।


व्‍योमिका लखनऊ मूलत: लखनऊ की हैं और एक कुशल हेलीकॉप्टर पायलट हैं। उनके नाम का अर्थ है का अर्थ है 'आकाश की बेटी' और ऑपरेशन सिंदूर की इस प्रेस ब्रीफिंग में वह 'नारी शक्ति' के प्रतीक के रूप में मंच पर थीं। वह इस बात का भी प्रतीक हैं कि संकट के समय में महिलाएं वीरता के साथ देश की सेना का नेतृत्व कर रही हैं।


भारतीय वायु सेना में 18 दिसंबर, 2004 को 21वें शॉर्ट सर्विस कमीशन के रूप में कमीशन प्राप्त करने वाली सिंह 13 वर्षों में (2017 में) विंग कमांडर के पद तक पहुंचीं। उन्हें दिसंबर 2019 में स्थायी कमीशन मिला। एक अनुभवी हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में, वह चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों को चलाने में माहिर हैं और उनके पास 2,500 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव है। वह पिछले कई वर्षों से दिल्ली में रह रही है।


व्‍योमिका आगे कहती हैं, यह 1991-92 की बात है। स्कूल में पढ़ते हुए, मैंने एम्प्लॉयमेंट न्यूज देखी जहां एक विज्ञापन ने मुझे दुखी कर दिया क्योंकि उसमें लिखा था कि केवल अविवाहित पुरुष उम्मीदवार ही पायलट बन सकते हैं।

 लेकिन 1990 के दशक की शुरुआत में जगी उस चिंगारी ने एक ऐसी यात्रा शुरू की, जिसने उन्हें असाधारण ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 'इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के दौरान, मुझे पता चला कि महिलाएं UPSC के माध्यम से शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए एक प्रतियोगी परीक्षा देकर पायलट बन सकती हैं। मैंने अकादमी में पायलट कोर्स पास किया, मुझे विंग्स से सम्मानित किया गया, और मैं एक हेलीकॉप्टर पायलट बन गई। उसके बाद, मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह एक उतारचढ़ाव भरा अनुभव था, खासकर एक हेलीकॉप्टर पायलट होने के नाते मैं कई तरह की भूमिकाएं निभाती थी। मैंने समुद्र तल से लेकर 18,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरी है,' उन्होंने आगे कहा।

विंग कमांडर सिंह ने कहा, 'मैंने कई हताहतों को निकाला है और एक व्यक्ति को छोड़कर दूसरे को ले जाने और फिर अगले दिन वापस आने के फैसले लिए हैं, जबकि मैं खराब मौसम का सामना कर रही थी।

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